सोमवार, 21 सितंबर 2020
शनिवार, 19 सितंबर 2020
मंगलवार, 15 सितंबर 2020
एक बादशाह ने एक रफूगर रखा हुआ था.जिसका काम कपड़ा रफू करना नहीं बातें रफू करना था.एक दिन बादशाह दरबार लगाकर शिकार की कहानी सुना रहे थे.जोश में आकर बोले=एक बार तो ऐसा हुआ मैंने आधे किलोमीटर दूर से निशाना लगाकर जो एक हिरन को तीर मारा तो तीर सनसनाता हुआ हिरन की बाईं आंख में लगकर दाएं कान से होता हुआ पिछले पैर के दाएं खुर में जा लगा.जनता ने कोई दाद नहीं दी.वो इस बात पर यकीन करने को तैयार ही नहीं थे.इधर बादशाह भी समझ गया कि मैंने ज़रूरत से ज़्यादा लम्बी छोड़ दी.और अपने रफूगर की तरफ देखने लगा.रफूगर उठा और कहने लगा=मैं इस वाक़ये का चश्मदीद गवाह हूँ.दरसल बादशाह सलामत एक पहाड़ी के ऊपर खड़े थे.हिरन काफी नीचे था.हवा भी मुआफ़िक चल रही थी वरना तीर आधा किलोमीटर कहाँ जाता है.जहां तक बात है आंख कान और खुर की है.तो अर्ज़ कर दूँ.जिस वक्त तीर लगा था.उस वक़्त हिरन दाएं खुर से दायाँ कान खुजला रहा था.इतना सुनते ही जनता जनार्दन ने दाद के लिए तालियां बजाना शुरू कर दीं.अगले दिन रफूगर बोरिया बिस्तरा उठाकर जाने लगा.तो बादशाह ने परेशान होकर पूछा कहाँ चले.रफूगर बोला=बादशाह सलामत.मैं छोटी मोटी तुरपाई कर लेता हूँ.शामियाना सिलवाना हो तो भारतीय मीडिया को रख लीजिए.
मंगलवार, 1 सितंबर 2020
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